Hindi shayari | Love shayari | Shayari Sangrah अपनी अदाओं से मन का करार लूटने लगी हो धीरे-धीरे दीवानगी बढ़ती जा रही है अब अकेले में गुजारा संभव नहीं है करीब होने का हर तरीका आजमाने लगा हूं मैं बेतहाशा मोहब्बत करने लगा हूं दूर रहना गवारा लगता नहीं है खुदा की कसम सच कह रहा हूं तुम्हारे सिवा अब कहीं और मन लगता नहीं है अब और अपने दिल को समझा नहीं पाऊंगा दूरियों में वक्त बीता नहीं पाऊंगा मेरी ख्वाहिशों में कुछ इस तरह शुमार हो चुकी हो अब किसी और से दिल लगा नहीं पाऊंगा जो उम्र भर साथ देने का वादा किया है इससे कभी मुकरना नहीं वक्त के बदलाव में बहुत कुछ बदल जाएगा मगर अपने इरादों से बदलना नहीं